Friday, September 23, 2016

Diwali par Nibandh - Deepawali ka Mahatva - दीपावली का निबंध (महत्व)


Read about some line on Diwali Essay in Hindi. Dipawali par Nibandh. Here given some knowledge on importance of Deepawali for education.
दीपावली पर निबंध, दीवाली पर निबंध, दीपावली का महत्व हिंदी मे दिया जा रहा हैं।


दीपावली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार हैं। 'दीपावली' का अर्थ हैं - दीपों की माला ।
यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता हैं। दीपावली को मनाने के कई कारण हैं । इस त्योहार को मनाने का वैज्ञानिक कारण भी हैं । यह त्योहार वर्षा ऋतु के आता है, जिसके कारण गंदगी औऱ मच्छर फैल जाते हैं ,इसलिए लोग अपने घरों की सफाई व लिपाई -पुताई करवाते हैं।
दीपावली एक त्योहार नहीं वरन् त्योहारों की श्रंखला हैं। यह त्योहार पाँच दिन मनाया जाता हैं।
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाते हैं।एसी मान्यता है कि इस दिन एक महान चिकित्सक भगवान धन्वंतरी की उत्पत्ति समुद्र मंथन के प्रादुर्भाव से हुआ था।इस दिन भगवान धन्वंतरी का जन्मदिन मनाया जाता हैं। इस दिन लोग पीतल के बरतन खरीदे जाते हैं।धन्वंतरि को आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले आरोग्य का देवता माना जाता हैं।
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी और छोटी दीपावली कहते हैं I
द्वापर युग मे नरकासुर नामक एक भयानक राक्षस था। उसके आतंक से सभी बहुत दुखी थे। उसने अपनी शक्ति से देवताओं. को पराजित कर दिया।अन्त मे कृष्ण औऱ नरकासुर मे घनघोर युद्ध हुआ औऱ युद्ध मे नरकासुर मारा गया ,क्योंकि उसका पक्ष अधर्म और अन्याय का था।
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती हैं। इस दिन श्रीराम रावण को परास्त करके व चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस. लौटे थे। दीपावली के दिन भगवान महावीर का निर्वाण दिवस मनाया जाता हैं।
स्वामी दयानंद सरस्वती तथा स्वामी रामतीर्थ ने भी इसी दिन अपने नश्वर शरीर को त्यागकर निर्वाण प्राप्त किया था।
इस दिन लोग लक्ष्मी व गणेश का पूजन करते हैं। लोग मिठाईयाँ बाटते है औऱ पटाखे जलाते हैं। जगह-जगह पर दिये जलाए जाते हैं.
दीपावली के अगले दिन गोर्वधन पूजा की जाती हैं। एक बार इन्द्र को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया।जब भगवान कृष्ण को इन्द्र के घमंड का पता चला तो उन्होंने इन्द्र का घमंड चूर करने के लिए ब्रज-भूमि मे इन्द्र की पूजा बन्द करवा दी। पूजा बन्द होने से इन्द्र ने क्रोधित होकर ब्रज मे घनघोर वर्षा की औऱ सारा ब्रज जलमग्न हो गया औऱ त्राही-त्राही करने लगा। बृजवासियों की रक्षा करने के लिए कृष्ण ने अपनी कनिष्टका अँगुली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया औऱ समस्त बृजवासियों की रक्षा की ।इसी दिन से गोवर्धनधारी भगवान कृष्ण की पूजा की जाने लगी।
पाँचवे दिन भाई दूज मनाई जाती हैं ।ऐसी मान्यता है कि भाई औऱ बहन एक साथ यमुना जी मे स्नान करके बहन भाई को तिलक कर मिठाई खिलाती हैं।