Tuesday, October 11, 2016

Dev Uthane ka Bajan in Hindi - देव उठाने का भजन



Read about the Dev uthane ka Bhajan. Here given some line of Dev uthane ka bajan.
देव उठाने का भजन की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं।




उठो देवा जागो रे देवा ,
चारों मास बराबर सोये --2
सावन सोये, भादौ सोये,
कार्तिक सोये ,
चारों मास बराबर सोये --2
आरे मूसे डाव कटा कटा कट ,
बान बुन बान बुनाय खाट,
बुनाय खाट बुलाय वामन दीजे,
वामन को दीजे कहाँ होय -2
कहा होय वामन को दीजे ,
. सदा पुण्य होय सदा फल होय।।

Holi ki Katha in hindi - होली की कथा



Read about the Holi ki katha. Here given hindu Festival Holi ki kahani.
होली की कथा हिंदी मे दी जा रही हैं।

राजा हिरणाकश्यप का पुत्र भक्त प्रहलाद था।वह भगवान का बहुत बडा भक्त था मगर उसका पिता उसकी भक्ति देखकर बहुत नाखुश होता था वह अपने पुत्र पर अत्याचार करता था । उसे तरह -तरह की यातनाएँ देता रहता था ताकि वह विष्णु भगवान की भक्ति छोडकर उसके साथ अधर्म के मार्ग पर चल सके। परन्तु प्रहलाद ने धर्म का मार्ग नहीं छोडा़। अन्त मे हिरण्यकशप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया ,होलिका को वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती।इसलिए वह प्रहलाद को गोदी मे बैठाकर जलती हुई अग्नि मे बैठ गयीं। लेकिन ईश्वर की कृपा से होलिका तो जल गयीं लेकिन प्रहलाद बच गया। जैसी ईश्वर ने प्रहलाद की लाज रखी वैसी ही सब ही सब की रखी।

Monday, October 10, 2016

Kabir ka Jivan Parichay in Hindi - कबीर का जीवन परिचय


Read about Kabir Das ka jivan parichay. Here given Kabir Das ki jivani.
कबीर दास का जीवन परिचय हिंदी मे दी जा रही हैं।


चौदह सौ पचपन साल गये,
चन्द्रवार एक ठाठ ठये ।
जेठ सुदी बरसाइत को,
पूरनमासी प्रकट भए ।।

कबीर दास जी के जन्म के विषय मे विद्वानों मे मतभेद पाया जाता हैं।इनके अनुसार कबीर का जन्म सं.1455 वि. ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को माना जाता हैं।
कबीर के माता पिता व परिवार के बारे मे यही मान्यता हैं कि वे एक विधवा ब्राहणी की संतान थे जिसे उसने लोक लाज के भय से त्याग दिया था।उनका पालन -पोषण नीरू औऱ नीमा नामक जुलाहा दंम्पत्ति ने किया था।
कबीर की पत्नी का नाम लोई था, उनके पुत्र का नाम कमाल औऱ पुत्री का नाम कमाली था। अपने पुत्र के सम्बंध मे कबीर स्वयं कहते हैं ------
बूढा बंस कबीर का,
उपजे पूत कमाल ।
हरि का सुमिरन छाँडि करि ,
घर लै आया माल।।

कबीर वास्तव मे समाज सुधारक थे।कबीर गौ वध तथा पशु बलि के विरोधी थे।कबीर ने हिन्दू व मुस्लिम दोनों धर्मों के आडम्वरों का विरोध किया हैं। कबीर कहते हैं कि -----
कांकर पाथर जोरि कै,
मसजिद लयी बनाइ।
ता चढिं मुल्ला बाँग दै,
का बहरा हुआ खुदाइ।।

कबीर सभी जीवों को परमात्मा का अंश मानते हैं। स्वयं को श्रेष्ठ औऱ अन्य जीवों को निकृष्ट मानने वालो से कबीर कहते हैं -----
यह सब झूठी बढेगी,
बारियाँ पंच निवाज।
साचैं मारै झूठ पढि ,
. काजी करै अकाज।।

कबीर दास जी हिंदू औऱ मुसलमानो को एक ही ईश्वर की संतान मानते हैं।दोनों के आपसी मतभेदो से व्यथित होकर वे कहते हैं -----
हिंदू कहे मोहिं राम पियारा,
तुरक कहैं रहिमाना।
कबिरा लडि लडि दोऊ मुए,
मरम न काहू जाना ।।

कबीर दास जी हिंदू अंधविश्वासों का खुल कर विरोध करते हैं।दिगम्बर साधुओ का उपहास करते हुए कहते हैं कि ------

माला तो कर मे फिरै,
जीभ फिरे मुख माँहि।
मनुवा तो दस दिश फिरै,
सो तो सुमिरन नाँहि।।

कबीर दास जी सत्य के महत्व पर विशेष बल देते हैं औऱ झूठ को पाप मानते हुए कहते हैं------
साँच बराबर तप नहीं,
झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदय साँच हैं,
ताकै हिरदय आप।।

कबीर दास जी भक्ति मे माधुर्य की प्रधानता हैं। कबीर परमात्मा को अपना प्रियतम मानते हैं। ईश्वर के प्रेम मे व्यथित
आत्मा का किसी वियोगनी के रूप मे भक्ति भाव को अपनाया हैं।

यह तन जारौं मसि करूँ,
ज्यूँ धूवाँ जाइ सरग्गि।
मति वै राम दया करैं,
बरसि बुझावै अग्गि।।

कबीर राम का नाम रटते रहते हैं औऱ राम को याद करते करते उनकी जीभ पर छाले पड़ गये हैं औऱ आँखों मे अन्धकार छा गया हैं। -------

अंषडियाँ झाँई पडी़ ,
पंथ निहारि -निहारि।
जीभडियाँ छाला पड्या ,
नाम पुकारि -पुकारि।।

कबीर ने ईश्वर से ज्यादा गुरु की महिमा का वर्णन किया हैं ------
गुरु गोविंद दोउ खडे,
काके लागूँ पाय।
बलिहारी गुरु आपणैं ,
गोविंद दियो बताय ।।

गुरु की महत्ता ईश्वर से अधिक हैं, इन पंक्तियों मे यही कहा गया हैं -------

कबिरा हरि के रूठते ,
गुरु के सरने जाय ।
कह कबीर गुरु रुठते ,
हरि नहीं होत सहाय ।।

कबीर संसार को माया मानते हैं।कबीर राम नाम के जाप पर बल देते हैं राम नाम के बिना हरि दर्शन संभव नहीं हैं -----

गुण गायें गुण नाम करै ,
रटै न नाम वियोग ।
अहनिसि हरि ध्यावै नहीं ,
. क्यूँ पावै दुर्लभ जोग ।।

कबीर स्वयं को दुलहन तथा राम को दूल्हा बताया हैं।विवाह के बाद पति और पत्नी के मिलन का वर्णन किया जा रहा हैं। -----
बहुत दिनन थे प्रीतम पाए,
भाग बडे़ घर बैठे आए ।
मंदिर माँहि भया उजियारा ,
लै सुती अपना पिव प्यार।।

कबीर संसारिक' माया ' को ठगनी कहते हैं। माया को एक ऐसी बेल कहा हैं कि काटने पर हरी तथा सीचनें पर कुम्लाह जाती हैं। ------
जे काटौं तो डहडही ,
. सींचौं तौ कुमिहलाई
इस गुणवन्ती बेलि का,
कुछ गुण कहा न जाइ ।।

कबीर कहते हैं कि भौतिक तत्व पर आश्रित अंहकार के साथ आत्मसात कभी नहीं टिकता ।इसका बहुत सुन्दर उदाहरण हैं -------
चींटी चावल लै चली ,
बिच में मिल गई दार ।
कह कबीर दोउ न मिलै ,
एक लै दूजी डार ।।

कबीर की रचनाओं मे अंलकारों का बहुत समन्वय देखने को मिलता हैं।------

अनुप्रास ----केसव कहि कहि कूकिए,
मत सोइए असरार ।
उपमा ------ पानी केरा बुदबुदा ,
अस मानस की जात ।
देखत ही छिप जायगा ,
ज्यों तारा परभात ।।
सांगरुपक अलंकार ---नैनन की करि कोठरी,पुतली पलंग बिछाइ ।
पलकों की चिक डारि कै पिय को लिया रिझाइ ।।

कबीर के सभी दोहों मे उपदेशो की प्रधानता हैं ।कबीर ने गुरु महिमा के विषय मे कहा हैं -----
राम नाम के पटंतरै ,
दैबे को कछु नाहिं ।
क्या लै गुरु संतोषिए ,
हौंस रही मन मांहिं ।।

कबीर की मृत्यु संवत् 1575 वि. मे हुई थी।
संवत पन्द्रह सौ पचहत्तरा,
कियौ मगहर को गौन ।
माघ सुदी एकादशी,
बसों पौन में पौन ।।

Sunday, October 9, 2016

Ram Kumar Varma ki Rachana in Hindi - राम कुमार वर्मा की रचनाएँ

Read about some Rachana of Ram kumar varma. Here given Ram kumar varma ki khatiya.
राम कुमार वर्मा की रचनाओं व कृतियों की जानकारी हिंदी मे हदी जा रही हैं।

राम कुमार वर्मा की ख्याति एक कुशल एकांकीकार एंव नाटककार के रूप मे रही हैं।इनकी रचनाओं का विवरण निम्न प्रकार हैं।

1-काव्य-----1 चन्द्र किरण2अंजली 3 आकाश गंगा4 चित्ररेखा5एकलव्य 6अभिशाप 7 कुल ललना8 रूप राशि 9 वीर हम्मीर 10 चित्तौड की चिता11उत्तरायण 12 निशीथ

2- उपन्यास ------1 माँ का हृदय

3- नाटक ------1 विजय पर्व 2 जय आदित्य


4-एकांकी संग्रह -------1 जूही के फूल2 मयूर पंख 3 कौमुदी महोत्सव4 पांचजन्य5 रिमझिम6ऋतु राज 7 सप्तकिरण8 विभूति9 रूप रंग 10 इन्द्रधनुष 11 रजत रश्मि 12 चारूमित्रा13 दीप दान14 रेशमी टाई 15 पृथ्वीराज की आँखें 16एक्ट्रेस 17- 18 जुलाई की शाम

Bhartendu Harishchandra ki Rachana in hindi - भारतेन्दु हरीश चन्द की रचनाएँ


Read about Bhartendu Harishchandra ki pramukh Rachana.Here given some information of Bhartendu Harishchandra ki pramukh khatiya.
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की रचनाएँ की जानकारी हिंदी मे दी जा रही हैं।


भारतेन्दु जी की प्रमुख रचनाओ का विवरण निम्न प्रकार हैं।


1-,काव्य संग्रह-----1 भारत-वीणा2 प्रेम सरोवर 3 प्रेम तरंग 4 प्रेम फुलवारी 5 प्रेम -प्रलाप 6 भक्त-सर्वस्व 7 वैजयन्ति 8 सतसई श्रंगार

2- कथा साहित्य-----1 हमीरहठ2कुछ आप बीती, कुछ जग बीती 3मदालसोपाख्यान 4सावित्री चरित्र

3-निबंध संग्रह----- 1मदालसा 2 दिल्ली दरबार दर्पण3 लीलावती4 परिहास वंचक5 सुलोचना

4-यात्रा वृतान्त ------ 1सरयू की यात्रा 2 लखनऊ की यात्रा

5-जीवनियाँ ------1जयदेव 2 महात्मा मुहम्मद3 सूरदास की जीवनी

6-नाटक ------
( क ) मौलिक नाटक-----1वैदिक हिंसा-हिंसा न भवती 2 नील देवी3सती प्रताप 4 श्री चन्द्रावली5 सत्य हरिश्चन्द्र6 भारत-दुर्दशा 7 प्रेम योगिनी8 विषस्य विषमौषधम9 अन्धेर नगरी

( ख ) अनुदित नाटक ------ 1 रत्नावली 2 भारत जननी 3 पाखंड विडम्बन 4 विद्या सुन्दर 5 मुद्रा राक्षस 6 दु्र्लभ बन्धु 7 कर्पूर मंजरी 8 धनंजय विजय

8-पत्रिका -----हरिश्चन्द्र चन्द्रिका

9-प्रहसन ----- अन्धेर नगरी

Jainendra ki Rachana in hindi - जैनेन्द्र की रचनाएँ


Read about Jainendra kumar ki Rachana. Here given some khatiya of Jainendra.
जेनेन्द्र की रचनाओं का विवरण हिंदी मे दिया जा रहा हैं।


जैनेन्द्र कुमार एक मनोविश्लेषणवादी उपन्यासकार ,कहानीकार, निबंधकार के रूप मे प्रसिद्ध हैं।उनकी प्रमुख कृतियों का विवरण इस प्रकार हैं।

1-,उपन्यास------ 1 परख2 सुखदा 3व्यतीत 4जयवर्धन 5सुनीता 6मुक्तिबोध 7 विवर्त8 कल्याणी9 त्याग पत्र

2- कहानी संकलन -------1 पाजेब2 फाँसी3 वातायन4 एक रात5 दो चिडियाँ 6 जय सन्धि7 नीलम देश की राजकन्या 8 खेल

3- निबंध संग्रह ------- 1पूर्वोदय 2गाँधी नीति 3 मंथन4 जड़ की बात5सोच विचार 6 साहित्य का श्रेय औऱ प्रेय 8 काम-प्रेम औऱ परिवार

4- संस्मरण ------- 1 ये औऱ परिवार

5- अनुवाद ------- 1प्रेम मे भगवान 2 पाप औऱ प्रकाश 3 मन्दाकिनी



Bhagvati Charan Varma ki Rachana in Hindi - भगवती चरण वर्मा की रचनाएँ


Read about some Rachana of Bhagwati Charan Varma. Here given khatiya of Bhagwati Charan Varma.
भगवती चरण वर्मा की रचनाएँ हिंदी मे दी जा रही हैं।




भगवती चरण वर्मा की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं।



उपन्यास ---- 1आखिरी दाँव 2 थके पाँव 3 तीन वर्ष4 सबहिं नचावत राम गोसांई5 पतन 6 चित्रलेखा 7 सामर्थ्य 8 टेढें मेढे रास्ते 9 सीधे साधे रास्ते10 भूलेबिसरे चित्र 11 रेखा

कहानी ----- 1 वसीयत 2 इन्सटालमेन्ट 3 दो बाँके4 मोर्चा बन्दी

Ahoi Ashtami ki Kahani in Hindi - अहोई अष्टमी की कहानी


Read about the story of Ahoi Ashtami ki kahani. This festival is celebrate for children.
अहोई अष्टमी की कहानी हिंदी मे दी जा रही हैं।

दीपावली से आठ दिन पहले अहोई अष्टमी आती हैं। दो नन्द भाभी लीपने के लिए मिट्टी लेने गई।नन्द मिट्टी खोद रही थी कि उसमें स्याऊ माता के बच्चे उसने वह मिट्टी मे छुपा दिए।जब स्याऊ-म्याऊ की माता आई तो उसने नन्द को अपने पंख मे छुपा लिया।भाभी बोली मेरी नन्द को छोड़ दो।स्याऊ माता बोली या तो अपना सुहाग दे या अपनी कोख दे भाभी बोली अगर सुहाग दूँगी तो सास लडेगी तुम मेरी कोख ले लो,ऐसा सुनते ही स्याऊ माता ने नन्द को छोड़ दिया।अब जब भी उसके बच्चे होते तो मर जाते, इस तरह उसके सात बच्चे मर गए जब उसे आंठवी बार गर्भ था तो एक बुढिया बोली कि जब स्याऊ-म्याऊ की माता आए तो घर को लीप पोत कर दरवाजे के सामने काँटे बिछा देना औऱ कोरे-कोरे जेयर भर देना, जब वो किवाड़ खोलने के लिए कहे तो कह देना कि पहले त्रिवाचा भरो कि अब बच्चे नहीं लोगी।उसने त्रिवाचा भर दिया तो उसने किवाड़ खोलकर उसके पैर मे से काँटे निकाल दिए तो वह उसे आशीर्वाद देने लगी कि दूधो नहाओ पूतो फलो । वह बोली पूतो को तो तुम ले जाती हो तो पूतो से कैसे फँलू? वह बोली अब नहीं लूँगी ।जब एक फूल नोचा तो एक बच्चा निकाला वह रोने लगा ,स्याऊ बोली अब क्यों रो रहा हैं तो वह बोली कि अकेला हैं तो स्याऊ ने दूसरा बच्चा भी दे दिया, इसी प्रकार स्याऊ माता ने उसके सातों बच्चे वापस कर दिये।झोपड़ी मे लात मारी महल मंदिर ह़ो गये।वह अहोई अष्टमी की पूजा करने लगी।
उसकी देवरानी जिठानी बोली कि जल्दी- जल्दी पूजा कर लो वरना रोमनी रोने लगेगी।उनके बच्चे बोले माँ आज तो ताई के यहाँ महल मंदिर मे पूजा ह़ो रही हैं।जैसी अहोई अष्टमी उसकी आई वैसी सब किसी की आए।

Dubara Sate ki Kahani in Hindi - दूबरी साते की कहानी

Read about the story of duvriSathi ki kahani.
दूवरी सातें की कहानी इस प्रकार हैं।


एक सास बहु थी। सास जंगल मे चली गयीं, बहु घर पर रह गई।सास बहु से कह गई कि धानूरा पानूरा समार कर रखियो।
बहु ने धानूरा पानूरा को काट पतीली पर। चढा़ दिया।सास लौट कर आई तो उसने धानूरा पानूरा के बारे मे पूछा। बहु बोली हाँ माँ जी सम्भाल लिया औऱ पतीली मे भी चढा़ दिया।सास बोलीअरे ये तूने यह क्या कर दिया ,गैय्या आयेगी तो पछाड़ खाएगी।सास ने धानूरा पानूरा को घडे़ मे भरकर घूरे पर गाड़ दिया, गैय्या आएगी सींग मारेगी तो घडा़ फूट जाएगा।
गैय्या सीधी घूरे पर पहुँची ,उसने जैसे ही सींग मारा बछडा़ खडा़ हो गया।गैय्या बोली मुझे तो तीन घंटे भी नहीं लगे पर तुझे एक साल लगेगा तब अपने बेटे को पालना।
जैसी पहले आयी वैसी किसी की न आए,जैसी पीछे आयी वैसी सब की आए।

Fanishvernat Renu ki Rachana in Hindi (फणीश्वर नाथ रेणु की रचनाएँ व उनकी कृतियाँ)


Read about Fanishvernath Renu ki rachana. Here given some khatiya of Fanishvernat Renu.
फणीशवरनाथ रेणु की रचनाएँ निम्नलिखित हैं।





हिंदी के आंचलिक कथाकारों मे फणीशवरनाथ रेणु का प्रमुख स्थान हैं। इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं।

कहानी संग्रह ------ 1 अग्नि खोर2ठुमरी 3श्रावणी दोपहरी की धूप 4 रसप्रिया5हाथ का जस औऱ बात का सच 6 आदिम रात्री की महक7 अच्छे आदमी8 मेरी प्रिय कहानियां

उपन्यास ------ 1 परती परिकथा2जुलूस 3मैला आचँल 4दीर्घतमा 5 कितने चौराहे 6 कंलक मुक्ति

रिपोर्ताज ------ 1ऋण जल-धनजल 2 नेपाली क्रांति कथा