Monday, September 26, 2016

Karva Chauth ki Kahani in Hindi - करवा चौथ व्रत कथा


Read about the story of Karva Chauth. Hindu festival Karva Chauth ki kahani in Hindi. Karva Chauth Vrat Katha ka pure bharat me bahut mahatv hai.
करवा चौथ का त्यौहार पति की लम्बी उम्र के लिए रखे जाने वाले व्रत का दिन होता है। करवाचौथ व्रत की कथा हिंदी मे दी जा रही हैं।


एक राजा था औऱ एक रानी थी,उनके सात पुत्र औऱ एक पुत्री थी।सभी भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे।वे उसके बिना खाना भी नहीं खाते थे। बहन के विवाह के बाद उसकी पहली करवाचौथ थी ,बहन ने करवाचौथ का व्रत रखा था। उसके भाई खाना खाने बैठे तो पूछा हमारी बहन कहां हैं, उनकी माँ ने बताया कि आज उसका करवाचौथ का व्रत हैं।भाइयों ने पूछा कि वह कब खाना खाएगी।माँ ने कहा कि वह तो चाँद देखकर ही खाना खायेगी।
उसके भाई बोले चाँद तो हम अभी उगा देते हैं। कोई भाई घास लाया, कोई छलनी लेकर आया, कोई कुछ लेकर आया।इस प्रकार उन्होंने बहन के लिए चाँद उगा दिया।बहन से जाकर बोले कि चाँद निकल आया हैं।बहन ने अपनी भाभियों से बोली चाँद निकल आया हैं। भाभियाँ बोली कि हमारा चाँद अभी नहीं निकला तुम्हारा चाँद निकला हैं।बहन ने उसी चाँद को.अरग देकर खाना खाने बैठ गयी।
उसने पहला कौरा खाया तो उसमें बाल निकला,दूसरा कौरा खाया तो छींक हुई, तीसरा कौरा खाया तो उसके पति के मरे की खबर आ गई। किसी बढ़ी-बूढ़ी ने उसे बताया कि ससुराल पहुँच कर जो भी आगे पड़े उसके पैर छू लियो,सबसे पहले उसे जेठोत मिली उसने उसके पैर छू लिये, जेठोत बोली दूधो नहाओ पूतो फलो।
उसके पति को ले जाने लगे तो वह बोली की मैं इसकी मिट्टी खराब नहीं होने दूँगी। जमुना किनारे बैठ गयी।उसकी नन्द रोजाना रोटी ,कुल्लड़ मे पानी दे आती थी, वह पानी को फैला देतीं औऱ रोटी को गाड़ देती।
कार्तिक पीछे अघेन की चौथ आई ,उससे बोली मईया मुझको सुहाग दे,वह बोली तू तो सात भाइयों की बहन हैं, व्रत खणि्डत करती हैं ,तोकू सुहाग कहाँ? उसके बाद फूस की चौथ आई, उसने कहा चौथ मईया सुहाग दे उसने भी यही कहा ,ऐसे ही सब चौथ आयी किसी ने भी उसको सुहाग नहीं दिया।उसने कहा वही सुहाग देगी जिसने सुहाग लिया हैं।
आखिर मे कार्तिक की चौथ आयी उसने कहा चौथ मइया सुहाग दें मइया बोली तुझे वही सुहाग देगी जिसने तेरा सुहाग लिया हैं।सब श्रंगार का सामना लेकर बैठ जाना, दाँतन खाएगी,लातन मारेगी ,उसको कसकर पकड़ लेना उससे कहना चौथ मइया सुहाग दे,उसने कहा तू तो सात भाइयों की बहन हैं व्रत खणि्डत करती हैं।
सो तुझे सुहाग सुख कहाँ, उसने कहा माँ अब व्रत खणि्डत नहीं करूँगी,देवी ने कन्नी उँगुली चीरकर छीटे दिये उसका पति हर-हर करके बैठ गया।उसने सब श्रंगार किया।दोनों सारपासे खेलने लगे।उसकी नन्द रोटी लेकर आयी, उसने देखा भाई- भाभी सारपासे खेल रहे हैं तो वह भागी-भागी घर गयी माँ भाई-भाभी सारपासे खेल रहे हैं तो वह भी भागी-भागी आयी।
सास बहु के पैर छुए औऱ बहु सास के।सास कहे बहु तेरे भाग बहु कहे सास तेरे भाग।सास बहु बेटा को घर लिवा लाई।
चौथ मइया ने जैसे उसे सुहाग दिया वैसे सबको देना।


Friday, September 23, 2016

Diwali par Nibandh - Deepawali ka Mahatva - दीपावली का निबंध (महत्व)


Read about some line on Diwali Essay in Hindi. Dipawali par Nibandh. Here given some knowledge on importance of Deepawali for education.
दीपावली पर निबंध, दीवाली पर निबंध, दीपावली का महत्व हिंदी मे दिया जा रहा हैं।


दीपावली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार हैं। 'दीपावली' का अर्थ हैं - दीपों की माला ।
यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता हैं। दीपावली को मनाने के कई कारण हैं । इस त्योहार को मनाने का वैज्ञानिक कारण भी हैं । यह त्योहार वर्षा ऋतु के आता है, जिसके कारण गंदगी औऱ मच्छर फैल जाते हैं ,इसलिए लोग अपने घरों की सफाई व लिपाई -पुताई करवाते हैं।
दीपावली एक त्योहार नहीं वरन् त्योहारों की श्रंखला हैं। यह त्योहार पाँच दिन मनाया जाता हैं।
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाते हैं।एसी मान्यता है कि इस दिन एक महान चिकित्सक भगवान धन्वंतरी की उत्पत्ति समुद्र मंथन के प्रादुर्भाव से हुआ था।इस दिन भगवान धन्वंतरी का जन्मदिन मनाया जाता हैं। इस दिन लोग पीतल के बरतन खरीदे जाते हैं।धन्वंतरि को आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले आरोग्य का देवता माना जाता हैं।
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी और छोटी दीपावली कहते हैं I
द्वापर युग मे नरकासुर नामक एक भयानक राक्षस था। उसके आतंक से सभी बहुत दुखी थे। उसने अपनी शक्ति से देवताओं. को पराजित कर दिया।अन्त मे कृष्ण औऱ नरकासुर मे घनघोर युद्ध हुआ औऱ युद्ध मे नरकासुर मारा गया ,क्योंकि उसका पक्ष अधर्म और अन्याय का था।
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती हैं। इस दिन श्रीराम रावण को परास्त करके व चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस. लौटे थे। दीपावली के दिन भगवान महावीर का निर्वाण दिवस मनाया जाता हैं।
स्वामी दयानंद सरस्वती तथा स्वामी रामतीर्थ ने भी इसी दिन अपने नश्वर शरीर को त्यागकर निर्वाण प्राप्त किया था।
इस दिन लोग लक्ष्मी व गणेश का पूजन करते हैं। लोग मिठाईयाँ बाटते है औऱ पटाखे जलाते हैं। जगह-जगह पर दिये जलाए जाते हैं.
दीपावली के अगले दिन गोर्वधन पूजा की जाती हैं। एक बार इन्द्र को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया।जब भगवान कृष्ण को इन्द्र के घमंड का पता चला तो उन्होंने इन्द्र का घमंड चूर करने के लिए ब्रज-भूमि मे इन्द्र की पूजा बन्द करवा दी। पूजा बन्द होने से इन्द्र ने क्रोधित होकर ब्रज मे घनघोर वर्षा की औऱ सारा ब्रज जलमग्न हो गया औऱ त्राही-त्राही करने लगा। बृजवासियों की रक्षा करने के लिए कृष्ण ने अपनी कनिष्टका अँगुली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया औऱ समस्त बृजवासियों की रक्षा की ।इसी दिन से गोवर्धनधारी भगवान कृष्ण की पूजा की जाने लगी।
पाँचवे दिन भाई दूज मनाई जाती हैं ।ऐसी मान्यता है कि भाई औऱ बहन एक साथ यमुना जी मे स्नान करके बहन भाई को तिलक कर मिठाई खिलाती हैं।



Tuesday, September 20, 2016

Biography of Baba Sahab Amte in Hindi - बाबा साहब आमटे पर निबंध



Read about biography of Baba Sahab Amte for educational. Here given some lines about Baba Sahab Mate life history.
बाबा साहब आमटे का जीवन परिचय हिंदी मे दिया जा रहा हैं।

बाबा साहब आमटे पर निबंध

बाबा साहब आमटे का पूरा नाम डा.मुरलीधर देवी आमटे था।इनका जन्म 26 दिसंबर 1914 को महाराष्ट्र मे स्थित वर्धा जिले मे स्थित हिंगणघाट गाँव मे हुआ था। इनके पिता देवीदास हरबाजी आमटे शासकीय सेवा मे लेखपाल थे। बाबा आमटे का बचपन बहुत ठाठ-बाठ मे बीता। इन्होंने एम. ए. ,एल. एल. बी. तक की पढाई की ।इनकी पढाई क्रिसिचयन मिशन स्कूल नागपुर विश्वविद्यालय मे कानून की पढाई की।
इन्होने अपने वकालत के अनुभव से कानूनात्मक दृष्टि से दलितों ,शोषितों के हित मे बदलाव लाने के लिए अथक परिश्रम किया। इन्होंने कोलकाता मे वकालत औऱ कुष्ठ रोगियों की सेवा करने का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर आनंदवन आश्रम की स्थापना की। महात्मा गाँधी औऱ विनोबा भावे से प्रभावित बाबा आमटे ने सारे भारत मे भ्रमण किया औऱ देश के गांवों मे अभावों मे जीने वाले लोगों की असली समस्याओं को समझने की कोशिश की।
सन् 1985 मे बाबा साहब आमटे ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत जोडो आन्दोलन भी चलाया गया भारत सरकार ने 1971मे इन्हें पदमश्री से सम्मानित किया गया।एशिया का नोबेल पुरस्कार कहे जाने वाले रेमन मैगसेसे से 1985 मे अलंकृत किया गया।1988 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार सम्मान दिया गया।
दो देशों के आपसी संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान निकालने मे सिद्धहस्त होने के कारण इन्हे भारत के शांति दूत के रूप मे विदेश भेजा जाता था।
ये 83 वर्ष की आयु तक निरन्तर सेवा करते हुए 9 फरवरी 2008 मे स्वर्गवासी हो.गए।

Saraswati Vandana in Sanskrit with Meaning - सरस्वती वन्दना अर्थ सहित


Read about the prayer of Saraswati Vandana. Here given below some line of Saraswati Vandana in Sanskrit with the means.
सरस्वती वन्दना संस्कृत मे अर्थ सहित दी जा रही हैं।



या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता ।
या वीणावरदण्डमणितकरा या श्वेतपदमासना ।।
या ब्रह्माडच्युतशंकरप्रभृतिर्देवैः सदा वन्दिता ।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ।। 1।।


अर्थ : जो विद्या की देवी कुन्द के फूल, चन्द्रमा ,हिमराशि औऱ मोती के हार की तरह धवल वर्ण की है ,जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ मे वीणा औऱ दण्ड शोभायमान है तथा जिन्होंने श्वेत कमल पर आसान ग्रहण किया है, ब्रह्मा, बिष्णु औऱ महेश तथा अन्य देवता जिसकी वन्दना करते है, वही सम्पूर्ण जड़ता औऱ अज्ञान को दूर कर देने वाली भगवतीं सरस्वती हमारी रक्षा करें।


शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमाम् आद्यां जगद् व्यापिनीम् ।
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।।
हस्ते स्फाटिकमालिका विंदधतीं पद्यासने संस्थिताम् ।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदाम् ।।2।।


अर्थ: शुक्ल वर्ण वाली, सम्पूर्ण चराचर जगत मे व्याप्त ,आदिशकि्त परब्रह्म के विषय मे किए गये विचार एंव चिन्तन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली ,सभी भयों से अभयदान देने वाली ,अज्ञान के अंधकार को मिटाने वाली, हाथों मे वीणा -पुस्तक औऱ स्फाटिक की माला धारण करने वाली , पद्मासन पर विराजमान ,बुद्धि प्रदान करने वाली सर्वोच्च एश्वर्य से अलंकृत , भगवती शारदा की मैं वन्दना करता हूँ।

Biography of Dr.Rajendra Prasad in Hindi - डा. राजेंद्र प्रसाद पर निबंध


Read about some line on Dr. Rajendra Prasad biography in hindi for educational purpose. Given here a short note about Rajendra Prasad par nibandh in hindi.
डा. राजेंद्र प्रसाद की जीवन परिचय व निबंध हिंदी मे दिया गया हैं।

Biography of Dr. Rajendra Prasad

डा. राजेंद्र प्रसाद हमारे स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे।
इनका जन्म 3 दिसंबर 1884 ई. मे बिहार प्रान्त के छपरा जिले मे जीरादेई नामक गाँव मे हुआ था। इनकी माता का नाम कमलेश्वरी देवी औऱ इनके पिता का नाम महादेव सहाय था। बारह वर्ष की आयु मे राजवंशी देवी के साथ इनका विवाह हुआ।
ये सभी भाई -बहनों मे सबसे छोटे थे। पाँच वर्ष की आयु मे राजेन्द्र प्रसाद को उनके समुदाय की परम्परा के अनुसार एक मौलवी के सुपुर्द कर दिया गया।जिसने उन्हें फारसी सिखाई।वे विद्यार्थी काल मे सदैव प्रथम आते थे।
ये गाँधी जी से बहुत प्रभावित थे। गाँधी जी के सम्पर्क मे आने के बाद ये स्वतंत्रता सग्रांम मे कूद पडे।इन्होने असहयोग आन्दोलन मे भाग लिया।इन्हे भारतीय राष्ट्रीय काग्रेस के बम्बई अधिवेशन का अध्यक्ष चुना गया। ब्रिटिश शासन मे उन्हें कई बार जेल जाना पडा औऱ पुलिस की लाठियाँ भी खानी पडी।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्हें राष्ट्रपति के सर्वोच्च आसान पर सुशोभित किया गया।इनका व्यक्तिव इतना सरल औऱ सादा था कि राष्ट्रपति भवन मे कोई भी
व्यक्ति जाकर उनसे मिल सकता था।1946 ई. मे इन्हें संविधान सभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
28 फरवरी 1963 को इनका निधन हो गया। इन्हे मरणोपरान्त सर्वोच्च नागरिक सम्मान ' भारत रत्न ' से सम्मानित किया गया।

Monday, September 19, 2016

JAGDISH CHANDRA BASU par Eassy in Hindi - जगदीश चन्द्र बसु का जीवन परिचय | निबंध


Read about an essay on The great scientists SIR JAGDISH CHANDRA BASU. Here given some knowledge about Sir Jagdish Chandra Basu's life for educational purpose. Sir Jagdish Chandra Basu ki jivani par short note in hindi.
सर जगदीश चन्द्र बसु का निबंध व उनका जीवन परिचय नीचे हिंदी मे दिया जा रहा हैं।


Biography of Jagdish Chandra Basu.


सर जगदीश चन्द्र बसु का जन्म बंगाल के ढाका जिले के विक्रमपुर कस्बे के निकट राढीखाल नामक गाँव मे 30 नवंबर 1858 ई. को हुआ था।
ये प्रथम वैज्ञानिक थे जिन्होंने सर्वप्रथम बेतार के तार का अविष्कार किया, परन्तु एक गुलाम देश का नागरिक होने के कारण उस समय इन्हें यह श्रेय नहीं दिया गया।
इन्होंने पहली बार यह सिद्ध कर दिया कि संसार के सभी पदार्थों मे जीवन हैं औऱ संसार के सभी पदार्थ सचेतन हैं।
इन्होंने प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध कर कि मनुष्यों की तरह पेड़-पौधों मे भी जीवन होता हैं।
इन्होंने एक ऐसा यन्त्र तैयार किया जिससे पौधों के ह्रदय की धड़कन, तथा दुख एवं कष्ट होने पर उनका रोना सुना जा सकना सम्भव हो गया।
इस अविष्कार पर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ' सर ' की उपाधि तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय ने' डाक्टरेट' की उपाधि से सम्मानित किया। 23 नवंबर सन 1936 ई.मे 78 वर्ष की आयु मे इनका देहांत हो गया।
हमारे प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद इनके प्रिय शिष्यों मे से एक थे।
इनके जन्मदिन को' विज्ञान दिवस ' के रूप मे मनाया जाता हैं। 30 नवंबर को उनकी याद मे विज्ञान प्रर्दशनीयो का भी आयोजन किया जाता हैं।


Monday, September 5, 2016

Veer Balak Hakikat Ray ka Balidan in Hindi Eassy - वीर बालक हकीकत राय का बलिदान पर निबंध

Read about essay of Veer Balak Hakikat Ray in Hindi. Vir Balak Hakikat Ray ka Balidan nibandh ki jankari. Short note on Vir Balak Hakikat Ray in hindi. वीर बालक हकीकत राय का निबंध व उसके बलिदान की जानकारी नीचे हिंदी में दिया जा रहा हैं।


इस भारत भूमि पर ऐसे वीर बालक भी हुए जिन्होंने अपने बलिदान से समस्त विश्व को चकित कर दिया।ऐसा ही एक वीर बालक था हकीकत राय । इस बाल बलिदानी का जन्म पंजाब प्रांत के स्यालकोट नामक स्थान पर हुआ था।इसके पिता जी का नाम भागमल था औऱ इसकी माता का नाम कौरा देवी था।

इनकी शिक्षा मदरसे मे हुई थी। एक दिन हकीकत ने अपनी पाटी पर दुर्गा माँ का चित्र बनाया। मौली को यह बात अच्छी नहीं लगी।उन्होंने देवी माता को बहुत बुरा भला बुरा कहा।यह बात बालक हकीकत को अच्छी नहीं लगी। उसने क्रोधित होकर कठोर शब्दों मे उत्तर दिया।फिर क्या था ?उस बालक पर अत्याचार का पहाड़ टूट पडा ।उसे मौत की सजा सुना दी गई।

बसन्त पंचमी के दिन उस बालक का सिर काट लिया गया। मृत्यू-दण्ड से बचने के लिए उसे एक ही प्रलोभन दिया गया, कि वह अपना धर्म छोड़ दे। उस बालक ने मृत्यु को स्वीकार किया, पर उसने अपना धर्म नहीं छोडा़। आज भी बसन्त पंचमी के पावन अवसर पर उस बालक को हम श्रद्धा से याद करते हैं क्योंकि इसी दिन वीर हकीकत बलिदान देकर अमर हो गये।

Sunday, September 4, 2016

Gayatri Mantra ka Arth in Hindi - Gayatri Mantra ka Mahatva

Read about Gayatri Mantra ka Mahatav or Gayatri Mantra ka Arth in hindi. Here given some line on Hindi meaning of Gayatri Mantra in. गायत्री मंत्र का महत्व औऱ अर्थ नीचे हिंदी में दिया जा रहा हैं।


गायत्री मंत्र में हमारे सम्पूर्ण वेदों एवं उपनिषदों का सार निहित हैं इसमे चौबीस अक्षर हैं, यह मंत्र इस प्रकार से हैं



ऊँभूर्भुभवः स्वःतत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो

देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्


इस मंत्र में परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना की गई हैं कि तीनों लोकों में परिव्यापत परमेश्वर ( सूर्य ) ,जिनके प्रकाश से तीनों लोक प्रकाशित हैं, हमारी बुद्धि को स्थिर ,शान्त एवं शुभ कार्यो के लिए प्रेरित करें। इस गायत्री मंत्र की उपासना का हमारे देश मे बहुत अधिक महत्व हैं।

Eassy on Dussehra or Vijayadasmi in Hindi - विजयदशमी, दशहरा पर निबंध

Read about some line on Dussehra festival essay in Hindi. Vijaya dashmi par nibandh for education purpose. Here given some knowledge about Dussehra or Vijayadasmi Festival in hindi. दशहरा पर निबंध या विजय दशमी पर निबंध की जानकारी नीचे हिंदी में हैं।


विजय दशमी का अर्थ:- विजय के उपलक्ष्य में मनाये जाने वाला उत्सव।

यह विजय की घटना आज से हजारों साल पहले त्रेता युग की हैं। आपने राम औऱ रावण के युद्ध की कहानी तो सुनी ही हैं। रामलीला भी देखी होगी। अश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन ही, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम ने रावण का वध करके विजय प्राप्त की थी। बस तभी से इस दिन को विजयोत्सव के रूप में मनाते हैं। इसी उत्सव को'दशहरा' भी कहते हैं,क्योंकि इसी दिन दस मुख वाला राक्षस मारा गया था।

यह दिवस 'शस्त्र पूजन उत्सव' के रूप में भी मनाया जाता हैं। इस दिन क्षत्रिय औऱ वीर लोग अपने अस्त्र-शस्त्र की सफाई करके ,वीरता की देवी भगवती की उपासना की जाती हैं।

प्राचीन काल में महिषासुर नामक एक राक्षस के अत्याचारों से तीनों लोकों के प्राणी अत्यंत दुखी हो गए औऱ' त्राहिमाम् त्राहिमाम् ' की पुकार करने लगे। जब उनसे महिषासुर के अत्याचार नही सहन हो सके तो वे दौड़े-दौड़े ब्रह्मा जी के पास पहुँचे औऱ उनसे रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगे । इस पर ब्रह्मा जी ने उनसे कहा वे सब लोग संगठित होकर एक प्रबल शक्ति का र्निमाण करें, उससे महिषासुर का वध होगा।अतः सभी देवताओ की प्रार्थना से माँ दुर्गा की सृष्टि हुई औऱ सभी ने उन्हे अपनी -अपनी शक्तियों से सुसज्जित किया।

भगवती दुर्गा ने वनराज सिंह को अपना वाहन बनाया औऱ महिषासुर से नौ दिन तक युद्ध करके उसका संहार किया। इस लिए अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नवरात्रि उत्सव मनाते हैं औऱ दशमी को विजयोत्सव मनाया जाता हैं।

इस उत्सव से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि 'अन्यायी औऱ अत्याचारी का संहार मिलजुल कर संगठित शक्ति से ही किया जा सकता हैं।


Saturday, September 3, 2016

Lal Bahadur Sastri Hindi Essay and Jivan Parichay - लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध

Read about some line on Lal Bahadur Sastri Essay in hindi. Lal Bahadur Sastri ka jivan parichay or nibandh for education. Here given some knowledge about Lal Bahadur Sastri in Hindi. लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध व जीवन परिचय नीचे हिंदी मे दिया गया है।


श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर1904 को वाराणसी के पास मुगलसराय में हुआ था।उनकी बाल्य अवस्था घोर निर्धनता औऱ कष्टों मे बीता।जब वह डेढ़ साल के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था।

सोलह वर्ष की अवस्था में वे गाँधी जी के आह्रान पर स्कूल की पढाई छोड़ कर असहोग आन्दोलन में कूद पडे औऱ उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया। तब से वे निरन्तर देश की आजादी के लिए अंग्रेज सरकार से लड़ते रहे।

वे बड़े विनम्र ,सत्यवादी ,ईमानदारी औऱ कर्मठ समाज सेवक थे।अतः स्वतंत्रता प्राप्ती के उपरांत केन्द्रीय मंत्री -मंडल में उन्हें रेल मंत्री का कार्यभार सौंपा गया।सन् 1957 में उन्हें गृहमंत्रालय सौंपा गया औऱ सन् 1964 में नेहरु जी के देहांत के बाद वे प्रधानमंत्री बने।

1965 में जब पाकिस्तान ने हमारे देश पर आक्रमण किया तब शास्त्री जी ने दृढता से उसका मुकाबला किया।यह उनके दृढ़ आत्म-विश्वास का ही परिणाम था कि पाकिस्तान की इस युद्ध में करारी हार हुई। पाकिस्तान. को पराजित करने के बाद ,शास्त्री जी को समझौता- वार्ता के लिए ताशकंद (रुस) में बुलाया गया। शास्त्री जी वहाँ गये औऱ वहीं ह्रदय गति रुक जाने से उनका देहांत हो गया। पाकिस्तान पर भारत की विजय करने वाले नेताओं में शास्त्री जी को सदैव स्मरण किया जाता रहेगा।

Friday, September 2, 2016

Pt.Dindayal Upadhyay ka Jivan Parichay in Hindi - पं दीनदयाल पर निबंध

Read about some line on Pt. Dindayal Upadhyay Eassy in hindi for education. Given here a short notes about Pt.Dindayal upadhyay par Nibandh / Jivan Parichay in Hindi. पं.दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय हिंदी भाषा में दिया गया हैं।


पं.दीनदयाल उपाध्याय का जन्म अश्विन कृष्ण 13संवत् 1973 अर्थात 25 सितम्बर सन् 1916 को मथुरा जिले के चन्द्र भान नगला गांव मे हुआ था। बचपन में ही माँ-बाप का साया उनके सिर पर से उठ गया था परन्तु वे बड़े परिश्रमी औऱ मेधावी थे।उन्होंने बोर्ड औऱ विश्वविद्यालय की परिक्षाओं में सवोत्तम अंक प्राप्त किये औऱ पढने-लिखने के बाद नौकरी न करके अपने को राष्ट्र सेवा में लगा दिया।उन्होंने विवाह भी नहीं किया।वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक हो गये औऱ बाद में वे जनसंघ के मंत्री औऱ फिर अध्यक्ष भी बने।

वे अत्यंत विनयशील औऱ राष्ट्र को समर्पित व्यक्ति थे। उनके प्रभाव से भयभीत होकर राष्ट्र द्रोहियों ने उनकी हत्या कर दी।

पं.दीनदयाल उपाध्याय आधुनिक युग के एक कर्मयोगी थे।वे प्रति क्षण अपने राष्ट्र के लिए कार्य करते थे।वे इतनी सादगी से रहते थे कि उनके बडे होने का अनुमान भी नहीं लगा सकता था।एक जोड़ी कपडे ही उनके लिए बहुत थे।राम में वे अपने कपडे स्वयं धोते थे।

उन्होंने देश विदेश की यात्रा भी की।वहाँ उन्होंने भारतीय अर्थशास्त्र की व्याख्या की औऱ"एकात्म मानववाद"के सिद्धांत की स्थापना की। उनके जन्म स्थान का नाम अब दीन दयाल धाम के नाम से जाना जाता हैं।वहाँ उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष मेला लगता हैं।