Monday, September 26, 2016
Karva Chauth ki Kahani in Hindi - करवा चौथ व्रत कथा
Read about the story of Karva Chauth. Hindu festival Karva Chauth ki kahani in Hindi. Karva Chauth Vrat Katha ka pure bharat me bahut mahatv hai.
करवा चौथ का त्यौहार पति की लम्बी उम्र के लिए रखे जाने वाले व्रत का दिन होता है। करवाचौथ व्रत की कथा हिंदी मे दी जा रही हैं।
एक राजा था औऱ एक रानी थी,उनके सात पुत्र औऱ एक पुत्री थी।सभी भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे।वे उसके बिना खाना भी नहीं खाते थे। बहन के विवाह के बाद उसकी पहली करवाचौथ थी ,बहन ने करवाचौथ का व्रत रखा था। उसके भाई खाना खाने बैठे तो पूछा हमारी बहन कहां हैं, उनकी माँ ने बताया कि आज उसका करवाचौथ का व्रत हैं।भाइयों ने पूछा कि वह कब खाना खाएगी।माँ ने कहा कि वह तो चाँद देखकर ही खाना खायेगी।
उसके भाई बोले चाँद तो हम अभी उगा देते हैं। कोई भाई घास लाया, कोई छलनी लेकर आया, कोई कुछ लेकर आया।इस प्रकार उन्होंने बहन के लिए चाँद उगा दिया।बहन से जाकर बोले कि चाँद निकल आया हैं।बहन ने अपनी भाभियों से बोली चाँद निकल आया हैं। भाभियाँ बोली कि हमारा चाँद अभी नहीं निकला तुम्हारा चाँद निकला हैं।बहन ने उसी चाँद को.अरग देकर खाना खाने बैठ गयी।
उसने पहला कौरा खाया तो उसमें बाल निकला,दूसरा कौरा खाया तो छींक हुई, तीसरा कौरा खाया तो उसके पति के मरे की खबर आ गई। किसी बढ़ी-बूढ़ी ने उसे बताया कि ससुराल पहुँच कर जो भी आगे पड़े उसके पैर छू लियो,सबसे पहले उसे जेठोत मिली उसने उसके पैर छू लिये, जेठोत बोली दूधो नहाओ पूतो फलो।
उसके पति को ले जाने लगे तो वह बोली की मैं इसकी मिट्टी खराब नहीं होने दूँगी। जमुना किनारे बैठ गयी।उसकी नन्द रोजाना रोटी ,कुल्लड़ मे पानी दे आती थी, वह पानी को फैला देतीं औऱ रोटी को गाड़ देती।
कार्तिक पीछे अघेन की चौथ आई ,उससे बोली मईया मुझको सुहाग दे,वह बोली तू तो सात भाइयों की बहन हैं, व्रत खणि्डत करती हैं ,तोकू सुहाग कहाँ? उसके बाद फूस की चौथ आई, उसने कहा चौथ मईया सुहाग दे उसने भी यही कहा ,ऐसे ही सब चौथ आयी किसी ने भी उसको सुहाग नहीं दिया।उसने कहा वही सुहाग देगी जिसने सुहाग लिया हैं।
आखिर मे कार्तिक की चौथ आयी उसने कहा चौथ मइया सुहाग दें मइया बोली तुझे वही सुहाग देगी जिसने तेरा सुहाग लिया हैं।सब श्रंगार का सामना लेकर बैठ जाना, दाँतन खाएगी,लातन मारेगी ,उसको कसकर पकड़ लेना उससे कहना चौथ मइया सुहाग दे,उसने कहा तू तो सात भाइयों की बहन हैं व्रत खणि्डत करती हैं।
सो तुझे सुहाग सुख कहाँ, उसने कहा माँ अब व्रत खणि्डत नहीं करूँगी,देवी ने कन्नी उँगुली चीरकर छीटे दिये उसका पति हर-हर करके बैठ गया।उसने सब श्रंगार किया।दोनों सारपासे खेलने लगे।उसकी नन्द रोटी लेकर आयी, उसने देखा भाई- भाभी सारपासे खेल रहे हैं तो वह भागी-भागी घर गयी माँ भाई-भाभी सारपासे खेल रहे हैं तो वह भी भागी-भागी आयी।
सास बहु के पैर छुए औऱ बहु सास के।सास कहे बहु तेरे भाग बहु कहे सास तेरे भाग।सास बहु बेटा को घर लिवा लाई।
चौथ मइया ने जैसे उसे सुहाग दिया वैसे सबको देना।