Read about the story of duvriSathi ki kahani.
दूवरी सातें की कहानी इस प्रकार हैं।
एक सास बहु थी। सास जंगल मे चली गयीं, बहु घर पर रह गई।सास बहु से कह गई कि धानूरा पानूरा समार कर रखियो।
बहु ने धानूरा पानूरा को काट पतीली पर। चढा़ दिया।सास लौट कर आई तो उसने धानूरा पानूरा के बारे मे पूछा। बहु बोली हाँ माँ जी सम्भाल लिया औऱ पतीली मे भी चढा़ दिया।सास बोलीअरे ये तूने यह क्या कर दिया ,गैय्या आयेगी तो पछाड़ खाएगी।सास ने धानूरा पानूरा को घडे़ मे भरकर घूरे पर गाड़ दिया, गैय्या आएगी सींग मारेगी तो घडा़ फूट जाएगा।
गैय्या सीधी घूरे पर पहुँची ,उसने जैसे ही सींग मारा बछडा़ खडा़ हो गया।गैय्या बोली मुझे तो तीन घंटे भी नहीं लगे पर तुझे एक साल लगेगा तब अपने बेटे को पालना।
जैसी पहले आयी वैसी किसी की न आए,जैसी पीछे आयी वैसी सब की आए।