Sunday, October 9, 2016
Ahoi Ashtami ki Kahani in Hindi - अहोई अष्टमी की कहानी
Read about the story of Ahoi Ashtami ki kahani. This festival is celebrate for children.
अहोई अष्टमी की कहानी हिंदी मे दी जा रही हैं।
दीपावली से आठ दिन पहले अहोई अष्टमी आती हैं। दो नन्द भाभी लीपने के लिए मिट्टी लेने गई।नन्द मिट्टी खोद रही थी कि उसमें स्याऊ माता के बच्चे उसने वह मिट्टी मे छुपा दिए।जब स्याऊ-म्याऊ की माता आई तो उसने नन्द को अपने पंख मे छुपा लिया।भाभी बोली मेरी नन्द को छोड़ दो।स्याऊ माता बोली या तो अपना सुहाग दे या अपनी कोख दे भाभी बोली अगर सुहाग दूँगी तो सास लडेगी तुम मेरी कोख ले लो,ऐसा सुनते ही स्याऊ माता ने नन्द को छोड़ दिया।अब जब भी उसके बच्चे होते तो मर जाते, इस तरह उसके सात बच्चे मर गए जब उसे आंठवी बार गर्भ था तो एक बुढिया बोली कि जब स्याऊ-म्याऊ की माता आए तो घर को लीप पोत कर दरवाजे के सामने काँटे बिछा देना औऱ कोरे-कोरे जेयर भर देना, जब वो किवाड़ खोलने के लिए कहे तो कह देना कि पहले त्रिवाचा भरो कि अब बच्चे नहीं लोगी।उसने त्रिवाचा भर दिया तो उसने किवाड़ खोलकर उसके पैर मे से काँटे निकाल दिए तो वह उसे आशीर्वाद देने लगी कि दूधो नहाओ पूतो फलो । वह बोली पूतो को तो तुम ले जाती हो तो पूतो से कैसे फँलू? वह बोली अब नहीं लूँगी ।जब एक फूल नोचा तो एक बच्चा निकाला वह रोने लगा ,स्याऊ बोली अब क्यों रो रहा हैं तो वह बोली कि अकेला हैं तो स्याऊ ने दूसरा बच्चा भी दे दिया, इसी प्रकार स्याऊ माता ने उसके सातों बच्चे वापस कर दिये।झोपड़ी मे लात मारी महल मंदिर ह़ो गये।वह अहोई अष्टमी की पूजा करने लगी।
उसकी देवरानी जिठानी बोली कि जल्दी- जल्दी पूजा कर लो वरना रोमनी रोने लगेगी।उनके बच्चे बोले माँ आज तो ताई के यहाँ महल मंदिर मे पूजा ह़ो रही हैं।जैसी अहोई अष्टमी उसकी आई वैसी सब किसी की आए।